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Ranjeeta Dhyani

Tragedy

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Ranjeeta Dhyani

Tragedy

अकेलापन

अकेलापन

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सहर से शब तक दुनिया संग है

ख़्वाबों में ना जाने किसका रंग है


नींद उड़ाकर, चैन चुराया

नाम न उसने अपना बताया


सोच-सोच कर तंग हुआ दिमाग

मन में खीझता, दिल में आग


मुकम्मल ना होता हसीं एक ख्वाब

जहान में ना रहा अपना कोई रुआब


संग में रहने वाले लोग ही जान के दुश्मन बन बैठे

तंग गलियों में रहने वाले खुद को जहांपनाह समझ बैठे


चटकारे लेते व्यंग्य बाणों से दोस्तों में अजब फितूर चढ़ा

यारों की महफ़िल में भी इंसां का अकेलापन ना दूर हुआ।


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