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Umesh Shukla

Tragedy

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Umesh Shukla

Tragedy

समाज में पारस्परिक विक्षोभ

समाज में पारस्परिक विक्षोभ

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अब ना जाने क्यों कम हो गया

समाज से सहिष्णुता का भाव

हर तरफ दिखती है आपाधापी

प्रबल हुआ स्व वर्चस्व का भाव


शिक्षण संस्थानों से भी लुप्त हुए

सामाजिक नैतिकता के प्रतिमान 

वहां मिल रहा केवल धनार्जन को

ही अब सबसे अधिक अधिमान 


सामूहिकता की सोच को निगल

रहा लोगों का व्यक्तिगत लोभ

ऐसे में पग पग बढ़ता जा रहा है

समाज में पारस्परिक विक्षोभ


हे ईश्वर मेरे देश के लोगों को

दीजिए आप सन्मति का दान

दूजों के भावों को समझकर वे

करें समय पर उनका भी सम्मान।


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