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Pinky Dubey

Abstract Tragedy

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Pinky Dubey

Abstract Tragedy

मेरा भी था एक सपना

मेरा भी था एक सपना

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मेरा भी था एक सपना हो मेरा भी एक परिवार अपना

मिले ऐसा जीवन साथी जो मुझे प्यार करे दिल से

हो एक मेरा भी बच्चा

जिसे मैं कहूँ अपना

जिसे मैं पालूँ

मगर सब कुछ रह गया अधूरा

प्यार जिसे किया उसने दे दिया दगा

छोड़ दिया मुझे अकेला

तोड़ दिये मेरे सारे सपने

रह गई मैं हूँ अकेली

ना कोई साथी है न कोई अपना

बस हूँ मैं अकेली

जिंदगी क्यूं इतना दर्द देती है

क्यूं लोग धोखा देते है

क्यूं जिंदगी इतनी बेरहम होती है

क्यूं लोग किसी का दुःख नहीं समझते

क्यूं किसी को सब कुछ मिलता है

तोह कभी किसी को कुछ भी नहीं

जिंदगी इतनी कठिन क्यूं होती है

जिंदगी में हम अकेले आते है और अकेले ही चले जाते है

जिंदगी बस चलती जाती है

लोग चले जाते है

बस रह जाते है हम बस यादों के साथ

टूटे सपने रह गए हम अकेले।


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