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Gayatri Puri

Tragedy

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Gayatri Puri

Tragedy

उम्मीद

उम्मीद

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प्यारा सा था हमारा रिश्ता वो,

प्यार से भरा हमारा रिश्ता वो,

हस्ती थी मैं, जब हसाता था वो 

रोती थी अगर, तो चुप करवाता था वो।


देखती रह जाती थी उसे,

जब मेरे लिए गाता था वो।

सब कहते थे,

मैं उसकी राधा और मेरा कृष्ण था वो।


फिर न जाने एक दिन,

किसकी नज़र लगी इस रिश्ते को 

कांच की तरह टूट गए,

साथ बिताए लम्हे वो।

सवाल है मन में कई, जवाब पता नहीं 


बस एक उम्मीद है, शायद वापस आएगा वो।


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