नजदीकियाँ
नजदीकियाँ
नजदीकियाँ तेरी मेरी
रिश्तों का सार वार बन गई।।
तू मेरी जिंदगानी और
मैं तेरी पहचान बन गयी
हूं तो में एक अजनबी सी अठखेली सी
किताब कहो या पहेली सी
कहानी कहो या हमें जिंदगानी
यही हैं हमारी क़िस्मत की रवानी..
आज आनी और कल जानी हैं!
यही हमारी जिंदगानी हैं!
क़िस्मत का खेल है निराला..
कभी धूप ओर छाव का है मेला..
कभी गम और खुशियों का है ठेला.
जीवन जीते जाना हैं हमें..
एक नयी किताब बन जाना हैं!
किताब का पन्ना चाहे कोरा रहे..
उसमें सिर्फ़ प्यार से रंग भर जाना है!