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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Inspirational

नियति के खिलौने

नियति के खिलौने

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नियति के खिलौने हम। 

जितना निश्चित है उतना ही मिलेगा।

ना उससे ज्यादा ना उससे कम।

दूजे का हक मार मार कर 

क्यों तुम छीना करते हो।

कुछ भी गलत करते हुए 

परमात्मा से क्यों ना डरते हो? 

नियति के फैसले क्यों नहीं समझते हो? 

कंस और रावण का भी तो आखिर में ही अंत हुआ। 

प्रत्येक युग की यही गाथा है। 

नियति ही केवल निर्माता है। 

दुर्योधन ने कितने ही छल करके देखे

लेकिन विजय पांडु पुत्र ही पाता है।

नियति के हैं खिलौने हम 

इसलिए अच्छे ही रखो अपने कर्म। 

परमात्मा की कृपा जो पा जाओगे।

कितनी भी हो कठिन परिस्थितियां 

पार उन्हीं से आ जाओगे।


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