STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Action

4  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Action

“ निकल जाओ उन अँधेरों से”

“ निकल जाओ उन अँधेरों से”

1 min
10

बंद दरवाजे को खोलो

निकल जाओ उन अँधेरों से

वहाँ नज़र कुछ नहीं आने वाला

सामान सारे बेतरतीब से बिखरे पड़े हैं


सही वक्त पर सही चीज नहीं मिलती है

लड़खड़ा रहे कदम

गिर- गिर के संभालना है मुश्किल

ठोकरें आखिर कब तक सहोगे ?

आँख रहते क्यों अंधे बने फिरते हो ?


कानों में सुने रात की तन्हाइयों की आवाज आती है

भला तुम्हारी आवाज़ कौन सुनेगा ?

कुंडी खोलो निकल आओ

खुले आसमान में

मिलो अपनों से और बेगानों से

बना लो सबको अपना


अपनी बातों को साझा करो

उनकी बातों को भी सुनो

कदम मिलाके प्रभातफेरी करके एकता का मंत्र फूँको

सब मिलके करो नव निर्माण

हो अपने भारत का उजाला से सामना

सब धर्म का सम्मान हो


हर तरफ सर्वोदय का मंत्र गुजें

बंद दरवाजे को खोलो

निकल जाओ उन अँधेरों से

वहाँ नज़र कुछ नहीं आने वाला !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action