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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

"नींबू"

"नींबू"

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इस नींबू ने बुरी तरह से निचोड़ दिया है

ऊपर से महंगाई ने भी दिल तोड़ दिया है


जो चीज सहज उपलब्ध होती, महंगाई ने,

उसका भी यहां पर मणभर बोझ किया है


अब न पूंछ सकते, अतिथियों को गर्मी में

क्या आप लोगे नींबू पानी, नींबू ने गर्मी में


आज आम आदमी को ऐसा नोच लिया है

उसके आंसुओं को खारा बहुत किया है


पीले-पीले रसीले नींबू, गर्मी के शत्रु नींबू,

महंगाई के कारण, हमें जमींदोज किया है


सबका वक्त आता, नींबू ने बोल दिया है

नींबू ने आम से, खास का शोध दिया है


किसी को दुनिया में कमजोर न समझो,

सबको यहां आप अपना दोस्त समझो,


नींबू ने हमारी सोच में वो लोच किया है

हमारी मरोड़ को एक पल में मोड़ दिया है


किसानों का आप सम्मान करो, तो साखी

नींबू का उसने फिर सस्ता मोल किया है


किसानों को मिले, सदा मेहनत मेहनताना

नींबू यही बताने खुद को अनमोल किया है


अब से हम नींबू को देंगे, उसका अधिकार

जिसका रहा था, उसको सदियों से इंतजार


कहते पूर्वज गर इस नींबू में बीज न होता,

फिर तो नींबू ने मृत को जिंदा,रो ज किया है


यह कहती आज की यह नींबू पुराण

आज दुनिया में मेहनत और किसान


दोनों ने राष्ट्र को उन्नति की ओर किया है

श्रमवालो ने ही खुद को नवजोत किया है


नींबू, गुणों के मोल का सही फोन किया है

ओर सही सोच ने हमें, जीवंत मोर किया है



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