STORYMIRROR

Asmita prashant Pushpanjali

Drama

3  

Asmita prashant Pushpanjali

Drama

नारी

नारी

1 min
293


कल-कल बहती नदी सी नारी

मीठे झरने सी नारी।

बारिश की फुहार सी नारी

भड़की जो ज्वालामुखी भी नारी।


शीतल, मधुर, तरल सी नारी

अभेद चट्टानों सी नारी।

कोमल, नाजुक सी नारी

जागा स्वाभिमान तो वीरांगना भी नारी।


रोती बिलगती सी नारी

हँसती-खिलखिलाती सी नारी।

शांत एकांत सी नारी

आगाज की ललकारी भी नारी।


तपती अगम सी नारी

तपाती अगन सी नारी।

बुझती अगन सी नारी

शोलों सी धधकती चिंगारी भी नारी।


ममता की छाँव सी नारी

बेटी के दुलार सी नारी।

प्यारी प्रियंवदा सी नारी

प्रतिशोध की मूरत भी नारी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama