नारी तू जाग
नारी तू जाग
जो हार कभी न माने, ऐसी तू कहानी लिख।
तूफानों में भी सजगता, ऐसी तू पहचान लिख।।
हार सके तूफानों से, नारी तू ऐसी शक्ति नहीं।
प्रचंड वेग से जो चले, ऐसी ही तेरी भक्ति सही।।
आज उठ खड़ा ये ब्राह्मण, तुझे सशक्त बनाने को।
तेरे ही कदमों से तेरी, विराट पहचान सजाने को।।
उठ रहा हर तूफान, सशक्त तुझे ही बनाएगा।
प्रबल वेग से तेरे, ये चकनाचूर ही हो जाएगा।।
छोड़ झंकार पायल की तू, एक प्रबल हुंकार भर।
तोड़ हर कुप्रथा तू, एक नूतन पहचान अब रच ।।
देख जरा अपने हाथो की शक्ति, नव ब्रह्मांड जो रच सके।
पदचिन्ह भी तेरे है ऐसे, असंख्य कदम जहां अनुसरण करे।।