वह सुबह जरूर होगी
वह सुबह जरूर होगी
वह सुबह जरूर होगी
एक नई सुनहरी दुनिया की शुरुवात होगी
हर एक नागरिक खुशी अपने घर में रहेंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
जहां हर अपना कोई आपनोका साथ होगा
अब दूरियां कम और दिलों के पास रहेंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
जहां बाहर जाने की रेल चल होगी
सारे लोग सड़क पे फिरसे खुली हवा में जायेंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
उस दिन काढ़ा नहीं कुछ खाने की तलब होगी
बाहर का गरम पकोड़ा टपरी की गरम चाय पिएंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
सभी लोग मुस्करा होंगे ना कोई चिंता होगी
बच्चे बड़े सभी लोग अपनी अपनी तैयारी करेंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
मास्क नहीं कुछ नया करने की चाह होगी
कुछ ऐसे बलदाव सारा जहां खुशियां बाटेंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
हर एक किसान की जीने की वजह होगी
जहां सब लोगों को उनका हक मिल जाएंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
जहां हर एक घर के सामने पेड़ो की बौछार होगी
जहां सारी और हरियाली और सब एक हो जाएंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
हर एक नागरिक तंदरुस्त होगा बरकत होगी
ना कैसी नाराज़गी ना कोई दूर जाए ऐसी चिंता में रहेंगे।।
वह सुबह जरूर होगी
सारे रिश्ते त्योहार मानने की अब वजह होगी
फिरसे सड़कों पे धूल कम जरूरत ना होने पर चलते जायेगे।।
