रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
आ गई बहना तुम्हें मनाने
भूले-बिसरे रिश्ते निभाने
रक्षा का वो सूत्र बाँधकर
आ गई फिर से प्रेम बरसाने
आ गई बहना तुम्हें मनाने, भूले-बिसरे रिश्ते निभाने।।
लड़ना-झगड़ना, शिकायतें करना
अठखेलियाँ कर फिर तुझे चिढ़ाने
कष्ट तुझ पर जो आन पड़े तो
कुछ पल मुक्ति उससे दिलाने
आ गई बहना तुम्हें मनाने, भूले-बिसरे रिश्ते निभाने।।
उलझ गए हैं जो जिम्मेदारियों में
उनके साथ कुछ वक़्त बिताने
सुख-दु:ख, गम की थाह को हरने
आई गई फिर से तुझे हँसाने
आ गई बहना तुम्हें मनाने, भूले-बिसरे रिश्ते निभाने।।
बोझ नहीं तेरा सौभाग्य बढ़ाने
रिश्तों की वो कदर सिखाने
होता भाई-बहन का प्रेम अनूठा
हर वर्ष आती यही बताने
आ गई बहना तुम्हें मनाने, भूले-बिसरे रिश्ते निभाने।।