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Kusum Lakhera

Action Classics Inspirational

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Kusum Lakhera

Action Classics Inspirational

तुम हो चेतना

तुम हो चेतना

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सुनो लड़कियों !

अब महज़ फूलों के रंगों से रीझना

नहीं !

क्योंकि ध्यान रखना वह बस खिलखिलाते ही नहीं …

वह कांटो से ज़ख्म भी दे जाते हैं !

सुनो लड़कियों !

अब तितलियों के पीछे भागना

नहीं क्योंकि ध्यान रखना तितलियों के रूप

में कोई बहरूपिया न हो, जो ले जाए

तुम्हें कहीं वीराने में

और सदा के लिए, तुम्हें दे जाए अभिशाप !


सुनो लड़कियों चाँद सितारों की अगर जो,

करे बात तो भी तुम पिघलना नहीं,

क्योंकि अब कोमल सी कंचन सी नाज़ुक सी,

उपमाओं से तुम्हें बाहर आकर अपने अस्तित्व

की रक्षा के लिए स्वयं ही तैयार होना होगा !

सजग होकर चौकस रहकर,


आसपास के पर्यावरण का करना निरीक्षण

क्योंकि कई बार मासूम मानव के मुखोटे में

वासना में निमग्न भेड़िए रहते हैं !

सुनो अब अपनी सुरक्षा के लिए सदा तैयार रहो !

शोर मचाओ चीखो चिल्लाओ,

अगर कुछ गलत लगे फोन मिलाओ !

न चुप रहकर सब कुछ सहो,

पर प्यारी लड़कियों नहीं घबराओ !

क्योंकि तुम हो शक्ति रूपा,

तुम हो चेतना !


 तुम हो जागृति

अब केवल पाक कला सौन्दर्यकला नृत्यकला की

पारखी बन,

प्रेम और श्रृंगार की के गीत ही क्यों तुम गाओ !!

शस्त्र और शास्त्र दोनों का ही ज्ञान लो !!

कोमलांगी अलसी सी क्यों तुम घबराओ ?

छोड़ दो गुड्डे गुड्डी और घर घर के खेल को

अब तुम भी मैदान में जाकर आत्मरक्षा

के गुर भी सीख आओ !

क्योंकि तुम नई इबारत को लिख रही हो

सच कितना तुम निखर गई हो !


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