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Shweta Kotecha 20HPH2643

Tragedy Action Inspirational

4.7  

Shweta Kotecha 20HPH2643

Tragedy Action Inspirational

सुनसान न हुए

सुनसान न हुए

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मुद्दतों बाद मिलकर भी कभी अनजान न हुए, 

चुपचाप तो थे हम मगर कभी बेज़ुबान न हुए।


गए तो तुम थे इस हसीन शहर को छोड़कर, 

हमारे दिल के रास्ते तो कभी सुनसान न हुए।


मख़मूर थीं तेरी ये आला नजरें, 

डूबने की चाह थी मगर तुम कभी मेहरबान न हुए।


मिरी साॅंसे और ख़याल तो बस तेरे ही गुलाम थे, 

मुहब्बत तो बेइंतहा थी, मगर तुम कदरदान न हुए।


फूलों -सी महक थी तेरे दिल की गहराई में, 

मगर इस गुलिस्ताँ के हम कभी मेहमान न हुए।


तेरी इस रूह में शबाब का चढ़ता नशा था, 

मसरूफ़ होना था हमें, मगर तुम मेज़बान न हुए।


बरसों बाद भी याद थी हमें तेरी हर एक अदा, 

खुद से सवाल था, क्यों हम इन पर कुर्बान न हुए।


नींद में ख़्वाबों में भी एक ही अलम सताता है, 

इतनी शिद्दतों बाद भी तेरे दिल के सुल्तान न हुए।


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