हम कर्मवीर हम कृषक वीर
हम कर्मवीर हम कृषक वीर
हम कर्मवीर हम कृषक वीर,
हम दुनिया के रखवाले हैं।
कष्ट सहना आदत है अपनी,
हम मिट्टी के रखवाले हैं।
जब जब सूरज में तपिश है बढ़ती,
तब तब कृषक मे साहस बढ़ती।
हम अन्न उगाते पसीना टपकाते,
कोल्हू संग कोल्हू बन जाते बन जाते।
कृषक वीर हम कर्मवीर हम सृष्टि
के रखवाले हैं,
परिश्रम से हम ना घबराते,
कृषि हेतू कुछ भी कर जाते।
बाधाओं विपदाओं से ,
लड़ना हमारी आदत है।
अन्न उगाना अन्न पहनना,
अन्न हमारी इबादत है।
तेज धूप में भूखे रहकर,
भूखे सो जाना हमारी किस्मत है
लोगों के लिए अन्न उगाकर,
देश की सेवा करना अपनी खिदमत है।
विघ्न बाधाओं को सहकर,
हम कृषक सोना उगाते हैं।
यहीं इसी सोने को खाकर
ना जाने कितने बच्चे अपने
सपने सच कर जाते हैं।
हम कर्मवीर हम कृषक वीर,
हम कृषि के रखवाले हैं।