हित अनहित पशु -पक्षी ने जाना
हित अनहित पशु -पक्षी ने जाना
आज का नहीं सदियों पुराना यह अफ़साना,
हित-अनहित भाव पशु-पक्षियों ने भी जाना।
खुशहाली के भावों से मन में उठती हैं तरंगें,
सकारात्मक ऊर्जा भरती है विविध ही उमंगें।
किसी अनजाने से मिलकर लगता नाता पुराना,
हित-अनहित भाव पशु-पक्षियों ने भी जाना।
भूखे शेर-ऐंड्रोक्लीज़ की हमने सुन रखी है कहानी,
श्वान सम हिला दुम निभाई वन की मित्रता पुरानी।
पशु वफादार मनुज से भी ज्यादा हर रोमन ने माना,
हित-अनहित भाव पशु-पक्षियों ने भी जाना।
पढ़कर के भाव मन के प्राणी बेहिचक पास आते,
कबूतर और मेघ प्रियतम के पास संदेश ले जाते।
प्रेम श्वान-हय-गज का मालिक से किस्सों में बखाना,
हित-अनहित भाव पशु-पक्षियों ने भी जाना।
हल्दीघाटी का चेतक हो या कर्णसिंह का शुभ्रक घोड़ा,
स्वामीभक्ति का जज़्बा ऐसा मंजिल पूर्व न दम था तोड़ा।
देते हम निर्भय गिलहरी-चिड़ियों का घर आंगन में आना ,
हित-अनहित भाव पशु-पक्षियों ने भी जाना।
कसाई को देखते ही पशु बहुत ही भय खाते हैं,
सर्प-शिकारी देख के पक्षी जोर से चिचियाते हैं।
पशु-इन्द्रिय मनुज से ज्यादा सक्षम सबने है माना,
हित-अनहित भाव पशु-पक्षियों ने भी जाना।