नारी शक्ति
नारी शक्ति
मेरे अनसुलझे सवाल,
वह अनकही तुम्हारी,
समझ कर अनसुना करना,
दे गया आघात !
यह सिलसिला चलता रहा दिन रात,
और भीगी पलकें बहती रही सारी रात,
मेरे बाबा से मांगा था मेरा हाथ,
पर जीवन में थी ना प्यार की बरसात !
मेरी हर परेशानी में,
तुम बने रहे अनजान,
होकर नादान,
पर अब नहीं सहना,
दुर्गा बनके रहना !
अब ना याद है फेरों की रस्मे,
ना सहने की शक्ति है,
वादे रस्मे भूल गई अब,
जागी नारी शक्ति है !
