STORYMIRROR

Karan Mistry

Tragedy

2  

Karan Mistry

Tragedy

ना जा बंदेया

ना जा बंदेया

1 min
218

ना जा ना जा रे तू बन्देया

वो राह तेरी मंज़िल है ही नहीं

तू ये क्यूँ न जाने

वो दूर खड़े तेरे है ही नहीं

है ये सब अनजाने


कैसे तुझको बताऊं

है ये खाली एक सूना बंजर

ज़रा सा तू ठहर जा

एक दिन आएगा वो मंजर


टूटे जो ये रिश्ते सारे

ये रिश्ते थे ही नहीं

एक डोर थी कांच सी

देखे तूने जो सपने सारे

वो सपने थे ही नहीं

एक आग थी खाख सी


एक पल को तू यहां रुक जा

एक बार मिल के फिर चला जा



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy