ना जा बंदेया
ना जा बंदेया
ना जा ना जा रे तू बन्देया
वो राह तेरी मंज़िल है ही नहीं
तू ये क्यूँ न जाने
वो दूर खड़े तेरे है ही नहीं
है ये सब अनजाने
कैसे तुझको बताऊं
है ये खाली एक सूना बंजर
ज़रा सा तू ठहर जा
एक दिन आएगा वो मंजर
टूटे जो ये रिश्ते सारे
ये रिश्ते थे ही नहीं
एक डोर थी कांच सी
देखे तूने जो सपने सारे
वो सपने थे ही नहीं
एक आग थी खाख सी
एक पल को तू यहां रुक जा
एक बार मिल के फिर चला जा