महाकाल
महाकाल
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उस रास्ते की परवाह ही क्या जहां मेरा महाकाल है
भभूत अघोरी की छाँव में परमशान्ति की महाल है
शिव का सत्य है जहां अंतरात्मा की खोज है
ना सुनो उसकी तो पूरे जगत का हाहाकार है
राख भभूति में लिपटे हम खुद ही एक वैराग है
हमे खाख करे ऐसी हिमालय की कहाँ मजाल है
क्यूँ डरे हम दुखों से जहां आदिनाथ खुद साथ है
भक्त है हम महादेव के मृत्यु जिसका अकाल है