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वो आने वाली थी

वो आने वाली थी

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वो शाम बेहद खूबसूरत थी

इंतज़ार था उसके लौट आने का

हाँ दिल थोड़ा बेचैन था पर इश्क़ बरकरार था


पूरा शहर घर लौटने की हड़बड़ी में था

तो मेरे नैन उसे देखने की जल्दी में थे

चाय की चुस्कियां खत्म होने ही वाली थी

की शाम ढलके रात होने ही वाली थी


घड़ियों की टिक टिक परेशान कर रहे थी

धड़कनें बेइंतेहा धड़कने लगी थी

लफ़्ज़ों के लहज़े को सम्भाल रहा था 

की कहीं दिल की बात दिल में ही ना रह जाए


अब तक तो उसे सिर्फ तस्वीरों में ही देखा था

पर आज वो रात कि रौशनी बनकर आने वाली थी



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