मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)
Drama
इख़्लास का
बर्ताव ज़रा बंद है
यारी-दोस्ती का
कारोबार ज़रा बंद है।
मोहब्बत-ख़ुलूस का
बाज़ार ज़रा बंद है
शिकायत तो है बहुत
बोलचाल जरा बंद है।
इन दिनों ख़ुद से
मुलाक़ात ज़रा बंद है !
नववर्ष...
हाकिम-ए-आ'ला
आमंत्रण
मोहब्बत हो गय...
सूरत-ए-अहवाल
हमने मना रखा ...
शुक्राने की क...
समस्या!
बदलाव
गुज़रते हैं ह...
दिमाग में फिर भी यही खयाल है। आज तो बस एक वक्त की रोटी का सवाल है। दिमाग में फिर भी यही खयाल है। आज तो बस एक वक्त की रोटी का सवाल है।
तो न्यूज में सच न्युज का करता क्यों है बात। तो न्यूज में सच न्युज का करता क्यों है बात।
उनके मन में तो जहर के बेइंतहा बड़े-बड़े तीर भरे पड़े है उनके मन में तो जहर के बेइंतहा बड़े-बड़े तीर भरे पड़े है
ज़िन्दगी आंसू, ज़िन्दगी ख़ुशी, ज़िन्दगी की ये दोनों दरकार। ज़िन्दगी आंसू, ज़िन्दगी ख़ुशी, ज़िन्दगी की ये दोनों दरकार।
दिल गया था भूल धड़कना बस गिरता था तो आँख से पानी दिल गया था भूल धड़कना बस गिरता था तो आँख से पानी
तन्हा सफ़र पर हूँ तन्हा सफ़र पर हूँ
इसलिए दुनिया की बेहतरी में वह रुक जाती है इसलिए दुनिया की बेहतरी में वह रुक जाती है
उसने मेरी सीरत देखी और मुझे यूँ ख़ुद से दूर जाता हुआ। उसने मेरी सीरत देखी और मुझे यूँ ख़ुद से दूर जाता हुआ।
मत टकराओ इन लहरों से दिल में दबा लावा ज्वालामुखी बन फूट जायेगा। मत टकराओ इन लहरों से दिल में दबा लावा ज्वालामुखी बन फूट जायेगा।
जन सेवा महान धर्म है । जन सेवा महान धर्म है ।
भीख नहीं मांगते भीख नहीं मांगते तुम्हें टिक टॉक और फेसबुक से फुरसत हो तो कभी हमारे लिए सोचना भीख नहीं मांगते भीख नहीं मांगते तुम्हें टिक टॉक और फेसबुक से फुरसत हो तो कभी...
हम शायर है जनाब प्यार कर के देखो हम आज़माइश ए वफ़ा किए फिरते हैं। हम शायर है जनाब प्यार कर के देखो हम आज़माइश ए वफ़ा किए फिरते हैं।
थक हार कर अकेले होंगे खुद से, जब वह अंबर की ओर चलेंगे थक हार कर अकेले होंगे खुद से, जब वह अंबर की ओर चलेंगे
तेरी याद है सिमटी हुई कुछ अधखुली किताबों में। तेरी याद है सिमटी हुई कुछ अधखुली किताबों में।
लोगों का पता नहीं पर मैं बिलकुल सहम सा गया था लोगों का पता नहीं पर मैं बिलकुल सहम सा गया था
जिंदा था तो बुराईयां ढूंढ़ते रहे मेरे जाने के बाद, अच्छाईयां खंगाल रहे हो? जीते जी हाल पूछने, आ ना... जिंदा था तो बुराईयां ढूंढ़ते रहे मेरे जाने के बाद, अच्छाईयां खंगाल रहे हो? जीत...
दूर चला जाता है किसीसे दूर चला जाता है किसीसे
हमारी ग़लतियों को कभी नज़रअंदाज़ क्यो करते नहीं हो तुम हमारी ग़लतियों को कभी नज़रअंदाज़ क्यो करते नहीं हो तुम
कभी साथ निभाने से इंकार है तो कभी साथ रहने का इकरार है। कभी साथ निभाने से इंकार है तो कभी साथ रहने का इकरार है।
बेबस बचपन पुचकार बिना सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना। बेबस बचपन पुचकार बिना सुना घर परिवार बिना ठौर कहा घरवार बिना।