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payal Khatik

Tragedy

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payal Khatik

Tragedy

मुक्कदर

मुक्कदर

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दफ़न करना ही है गर, तो सांसो को कीजिए,

अल्फाजों में क्या रक्खा है...!

दोष देना ही हैं अगर, तो अंजाम को दीजिए,

आगाज़ में क्या रक्खा है..!

मुकद्दर तो बस एक बहाना है,

मुकद्दर की आड़ में अपनी हर गलतियों को छिपाना है..!

हम तो बस मुसाफ़िर इस जहां में,

हमारा तो सफ़र ही हैं आना और जाना है....!


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