झूठ का बाज़ार
झूठ का बाज़ार
इंसान इस ज़हां में सिर्फ़ चार दिन ही तो टिकता है,,
तू ही देख मेरे ख़ुदा झूठ कैसे बाजारों में सज कर बिकता है..!
फरेब की इस दुनिया में सच तो पल भर भी नहीं टिकता हैं..,,
जहां भी जाओगे दोहरा नक़ाब ही हर जगह दिखता है..!
