उम्मीदें
उम्मीदें
" ऐ मेरे ख़ुदा के बन्दों, अगर हर कोई गलतियां करोगे,
तो मेरे गुनाहों का हिसाब कौन करेगा...
अभी से थक हार कर बैठ गई , गर (उम्मीदें)...
तो मेरे सफ़र में मेरा राहगीर कौन बनेगा...!
ऐ मेरे दोस्तों मत फाड़ो इस तरह से,
मेरी ज़िंदगी के , किताब के पन्ने.!
नहीं तो, कोरे कागजों में दफ़न..!
मेरी ज़िंदगी के राज़ कौन पढ़ेगा "
