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payal Khatik

Abstract

3  

payal Khatik

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उम्मीदें

उम्मीदें

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 " ऐ मेरे ख़ुदा के बन्दों, अगर हर कोई गलतियां करोगे,

 तो मेरे गुनाहों का हिसाब कौन करेगा...


अभी से थक हार कर बैठ गई , गर (उम्मीदें)...

तो मेरे सफ़र में मेरा राहगीर कौन बनेगा...!


ऐ मेरे दोस्तों मत फाड़ो इस तरह से,

मेरी ज़िंदगी के , किताब के पन्ने.!


नहीं तो, कोरे कागजों में दफ़न..!

मेरी ज़िंदगी के राज़ कौन पढ़ेगा "


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