ज़ख्म
ज़ख्म
हर टूटे हुए शीशे को फ़िर से
जुड़ने की दुआ नहीं मिलती है...
वैसे हर जख़्म की फ़िर से
ठीक होने की दवा नहीं मिलती है...
लोगों ने यूँ तो हर जख़्म की
कीमत के बाज़ार सज़ा रखें है..
पर मोहब्बत के किसी भी
जख़्म की दवा नहीं मिलती है!
