मुझे दिल की बीमारी है !
मुझे दिल की बीमारी है !
मुझे दिल की बीमारी है !
इश्क नामक पकड़ रखा
मुझे रोग ऐसा कि जिसमें रहना
सबकी बस की बात नहीं !
कुछ कि तो यह लाचारी है !
मगर मेरे लिए अंतिम समय तक
साथ चलने वाली ये लाइलाज बीमारी है ! हाँ !
मुझे दिल की बीमारी है।
न डॉक्टर! न वैद्य !
न हकीम ! को पता इलाज इसका।
इलाज भी पता मुझे !
दवा भी मेरे पास ही है !
मगर घुट-घुटकर कर
दर्द सहने की दुश्वारी है !
मुझे दिल की बीमारी है !
सबके नज़र में लाइलाज
बीमारी है यह !
मगर मेरे मर्ज की मरहम भी पता है मुझे !
बस पास महफूज नहीं !
उसके बीन ही जिंदगी जीने की !
विरह की पीने की आई अब बारी है !
मुझे दिल की बीमारी है !
पीड़ प्रीत में सहकर,
धूप -घाम, पानी - पत्थर में रहकर भी
चेहरे पर कोई शिकन न लाते हुए भी
मुस्कराने की दुनिया के सामने
न जाने कैसी लाचारी है !
अकेलेपन में खुद को कैसे है खुश रखना
अब आने इसकी लगी होशियारी है !
मुझे दिल की बीमारी है।
हाँ ! मुझे दिल की बीमारी है।