मुड़ न पाया हूं
मुड़ न पाया हूं


थमे से लम्हें,
रहे मेरे सब,
बढ़ न पाया हूं,
कैद सा रहा,
अपने ही अंदर,
उड़ न पाया हूं,
हूं इस कदर,
खुद से टूटा,
की जुड़ न पाया हूं,
साथ ऐसा छूटा,
की मुड़ न पाया हूं।
अंदर ही अंदर,
घुट गया मैं,
कह न पाया हूं,
रूह है रूठी,
लुट गया मैं,
सह न पाया हूं,
हूं इस कदर,
खुद से टूटा,
की जुड़ न पाया हूं,
साथ ऐसा छूटा,
की मुड़ न पाया हूं।
हालात मेरे कभी,
मेरे साथ नहीं,
देख न पाया हूं,
ज़ुबान पे मेरे,
रुके अल्फ़ाज़ नहीं,
बोल न पाया हूं,
हूं इस कदर,
खुद से टूटा,
की जुड़ न पाया हूं,
साथ ऐसा छूटा,
की मुड़ न पाया हूं।
बन गए आंसू,
सारे मेरे सपने,
बह न पाया हूं,
रूठ गए मुझसे,
जो थे अपने,
सह न पाया हूं,
हूं इस कदर,
खुद से टूटा,
की जुड़ न पाया हूं,
साथ ऐसा छूटा,
की मुड़ न पाया हूं।