मतलब के रिश्ते
मतलब के रिश्ते
आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में
रिश्तों का स्वरूप बदल गया है
पहले रिश्ते हमें
प्यार, अपनापन, खुशी देते थे,
पर आजकल रिश्ते
एक ही घर में
कई पड़ोसी में तबदील हो गए।
जिनको बात करने के लिए
अक्सर वजह की तलाश होती है
बिना वजह के लोग किसी से
बात करते ही नहीं।
हँसते बोलते ही नहीं
खुशी के लिए भी
वजह ही तलाश करते रहो।
या यूँ कहो कि
रिश्ते मतलब के
रिश्ते बन गए हैं,
जो मतलब होने पर ही
याद आते हैं
बिना मतलब के न जाने
कहाँ गुम हो जाते हैं।
पता ही नहीं चलता।।
