मरीज - ए - दिल
मरीज - ए - दिल
मैं पेड़ हूं मौसम पतझड़ का
मुझमें पत्ते अब नहीं आते।।
मेरे छांव में बैठे लोग है जो
मुझे कटता देख चले जाते।।
मेरे दरख़्त कहीं और साख कहीं
मेरे वाजिब मुकाम नहीं होते ।।
मेरी तन्हाई भी मुझसे डरती है
मुझे चैन ओ सुकून नहीं आते।।
मैं उन लोगों से वाकिफ हूं
जो कहकर मिलने नहीं आते ।।
मेरे जड़ भी सूखे जाते है
मेरे फूल मुरझाते जाते ।।
मेरे फल अब नहीं निकलते
मेरे उम्र अब ढलते जाते ।।
जो लोग है वो अब नहीं आते
जो आते है बस चलते जाते ।।
मैं कुछ अपनों से वाकिफ हूं
जो कहकर मिलने नहीं आते ।।