खफा नामा
खफा नामा
तू हर्फ सा ,
तू बे ज़र सा ,
किताबों में ,
एक शब्द सा ,
बीमार मै ,
तू नब्ज़ सा ।।
रह गई है अमानत ,
तू सांसो में भी फर्क सा ,
करूं दुआ यही मै ,
तू आइना बे शक्ल सा ।।
लिखे है जो ,
तू ग़ज़ल ना हो ,
ख्वाबों में तू ,
बेखबर ना हो ,
तुम आस में भी हो सदा ,
तू हो सदा अब पेहर न हो ।।
यह रात है तो रात हो
सुबह का ना आगाज़ हो
इस रात में हो दर्द भी सर्द
इस सर्द से न इलाज हो ।।

