चल बंदेया !!
चल बंदेया !!
चल बंदेया उस ओर
जहां तेरी सच्ची डोर!!
दरिया गहरी लहरे ऊंची
पर दोनों तरफ है छोर!!
एक तिनका जोड़ा घर बनाया
उसमें रहा न जीवन घनघोर!!
तू ही गालिब, मीर और गुलाम
तेरे बिना न अंदर करे शोर!!
पत्थर टूटे कंकर बने फिर
तू जो टूटे तो कैसी होर??
न कर चिंता कल की फकीर
तेरे लिए बेहतर वो ही तेरी होर!!
एक बार हंसकर चल तो सही
खुदकुशी के विचार का न कोई तोड़!!
बन जा सिकंदर उठ कर चल
चल वे बंदेया तू अपनी ओर! (×2)