उन्स - ए- फ़राज़
उन्स - ए- फ़राज़
अब्तर हमारे ख्वाब अजल न बने तो भी
आब ए तल्ख यह अशाशा तो रहेगा !!
यूं न बैठ कलम को छोड़कर ए इरफान
अमलन तू खुद में तो अजल तक रहेगा !!
हमे मालूम है तेरी गरीबी की दास्तां पर
परिंदा कभी तो आगाज़ ए उड़ान करेगा !!
इंतिखाब करे जो जायज मकाम की करे
शायद इसी बहाने से खुद से इंसाफ तो करेगा !!
एक अर्षा हुआ एक फूल को बीमार हुए
दुआ में हाथ उठाए रख रब कभी तो रहमत करेगा !!
सर्फ बक्शे है तुझे जिस काम में वो काम कर
एक हर्फी करे इमामत कैसे? यह रब फैसला करेगा !!
लिखना है के कोई थक जाए पढ़ते पढ़ते तुम्हे
इमरोज़ न करे तू उड़ान कब्ल में आशूदाश तो करेगा !!