मरहम
मरहम
आज हम उन्हें छोड़ आए
उसी मोड़ पर..
जहाँ कभी हम खड़े थे
वो हमारा इंतज़ार कर रहे थे
बस एक दफा मिलने के लिए..
जैसे कभी हम किया करते थे
आज हम उन्हें धोखा दे आए
वही धोखा..
जिसे लेने से हम डरते थे
आज हम उनसे माफी माँग रहे थे
उसी गलती के लिए...
जो कभी वो किया करते थे
वो हमसे रूठ गए थे
बिल्कुल वसे ही...
जैसे वो हमें मनाया करते थे
आज हम उनका दिल तोड़ आए
बिल्कुल उसी तरह...
कि मरहम भी असर न कर सके
आज हम उन्हें छोड़ आए
उसी मोड़ पर..
जहाँ कभी हम खड़े थे!