मोबाइल
मोबाइल
ज़िन्दगी आजकल मोबाइल तक सिमट गई
पास बैठे हुए सब दूर हो गए ,
और दूर बैठे हुए सब पास हो गए l
कौन अपना है कौन बेगाना, की समझ ही छू हो गई ,
रात -रात तक जाग कर सेहत को खराब कर लिया,
तो क्या, लोगो की नज़रों में अपनी पहचान तो बन गई ,
ज़िन्दगी आजकल मोबाइल तक सिमट गई l
एक्सीडेंट की परवाह है किस को
सड़कों पर टशन मारना ही तो हमारी पहचान बन गई ,
पैसों की फिक्र है किस को,
हर साल फोन बदलना अपनी आदत बन गई।
रेड़ीएशन से होने वाली बिमारियों से क्यों डरें
इलेक्ट्रोनिक वेस्ट की परवाह हम क्यों करें,
हमारी तो आज में जीने की आदत बन गई ,
ज़िन्दगी आजकल मोबाइल तक सिमट गई l
