बचपन
बचपन
बड़े कहते हैं,काश! बचपन फिर से लौट आये
हम फिर से बच्चे बन जायें,
पता नहीं इन बड़ों को कब समझ आयेगा,
अपनी लड़ाईयों का कद तो घटाते नहीं,
एक बात को सालों तक भुलाते नहीं,
मम्मी-पापा से डाँट खाते नहीं,
रुठी मम्मी को मनाते नहीं,
गले पापा को लगाते नहीं,
फिर बचपन कैसे आयेगा,
समझ ये मुझको आता नहीं।
गाड़ी,बंगले और हीरों के हार से कम
उन्हें कुछ भाता नहीं,
दिल में जो है जुबां पर वो लाते नहीं,
हँस के दिलों को जीतना इन्हें आता नहीं,
फिर बचपन कैसे आयेगा,
समझ ये मुझको आता नहीं।
