शिव की शक्ति
शिव की शक्ति
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कितना मुश्किलों भरा है, नारी का जीवन
नहीं समझ पायेगा,
कभी पुरुष का अहंकारी मन
तिल तिल कर पिसती है वो
हर पल अपने को घिसती है वो
बेड़ियों में जकड़ा उसका जीवन
मांगता हर कोई उससे समर्पण
शिव की शक्ति है वो
कृष्ण की भक्ति है वो
कब तक उसे पैरों की धूल समझोगे
कभी तो उसके भी दिन बदलेंगे
कभी तो काले बादल छटेंगे
आशा की किरण मन में लिए
रोज़ नए सवेरे के साथ
मन में नई उमंग भरे
अपनों में अपनी
ख़ुशियों को समेटे हुए
उठती है वो
इस संसार के नए सृजन के लिए