मन की बात
मन की बात
मन की बात कहने की
कोशिश तो बहुत की..
पर तुमसे कभी कह न पाई
कभी डर से...
कभी झिझक से...
कभी शरम से...
तो कभी भरम से...
तुझे पाने की
कोशिश तो बहुत की...
पर दूरियां,
नज़दीकियां न बन पायीं
कभी डर से...
कभी झिझक से...
कभी शरम से...
तो कभी भरम से..
दूर तुमसे जाते हुए
कोशिश तो बहुत की....
पर मुड़ कर बार-बार तुझे देख न पायी
कभी डर से...
कभी झिझक से...
कभी शरम से...
तो कभी भरम से..

