मिट्टी ख्वाहिशों की चाहिए
मिट्टी ख्वाहिशों की चाहिए
अब निगाहों को रवायत आइनों की चाहिए।
जहन पर भी तो हुकूमत अब दिलों की चाहिए।।
रेत के सेहरा में घर बनते नहीं, किसने कहा
हौसले के हाथ, मिट्टी ख्वाहिशों की चाहिए।
डूब कर भी पार जाने की अदा मिल जाएगी
बस दिलों में एक सूरत साहिलों की चाहिए।
ईंट गारों से नहीं बनते किसी के घर कभी
प्यार इज्जत रौशनाई भी घरों की चाहिए।
है अगर रौशन शमा तो तय नहीं महफिल ही हो
खुशमिजाजी औ सुखन भी महफिलों की चाहिए।