मिस चींटी
मिस चींटी
सज संवर कर, हाथ पकड़ कर
निकल पड़े अब चींटी मिस्टर,
छोटू चींटी, छोटी चींटी,
मैडम चींटी भी चली ठुमककर।
कहीं राह पर छूटा हाथ,
फिसला पैर और टूटा साथ,
दूर गति से आ रही थी
सड़क पर तेज़ मोटर कार।
सरपट गाड़ी ने ब्रेक लगाई,
मैडम चींटी की जान बचाई।
दिल की धक- धक बड़ी हुई थी,
कार में बैठी मैडम उतरी।
मिस चींटी से माफी मांगी,
शिष्टाचार से चींटी पिघली।
अनुशासन में दया दिखाई
मोटर कार से हाथ जोड़कर
मिस चींटी ने किया निवेदन-
देखो, "मैं जब आऊं सड़क पर,
तुम भी आना थोड़ा संभलकर
छोटी हूं पर कम ना समझना
दिखूँ नहीं तो चश्मा लाना
कदम ज़रा तुम धीमे रखना
मेहनत करती, साथ में चलती
कभी कभी किसी धुन में रहती
मैं भी चलती हूं इस रास्ते,
जिस राह से तुम हो जाते।"