Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Deepti Singh

Tragedy

3.9  

Deepti Singh

Tragedy

पथिक

पथिक

1 min
23.1K


किस सोच में विचार में,

चले जा रहे अंधकार में।

हारा नहीं वो खुद से हार गया हालात से,

जहां से आया था, वहीं फिर चल पड़ा,

कुछ सामान लिया, कुछ स्वाभिमान लिया

जिस भूख कि खोज में आया था,

उसी भूख का शेष भाग लिया।

एक आस के साथ, आधे अधूरे विश्वास के साथ,

उस आसमान की ओर वो चल दिया।

जिसमे सुनहरी धूप थी, पेड़ की कहीं एक छाँव थी

बारिश की फुहार थी, संघर्ष की एक राह थी,

जब चांद पर जाना कठिन था

उसका घर कितना करीब था,

आज सितारों के बीच में,

ना छत ना घर का आंगन उसके नसीब में।

कोई धनवान होता 

तो पैदल चलना शायद कीर्तिमान बनता।

पूरे लश्कर के साथ, व्यवस्था का भी साथ होता।

मजबूर मजदूर के कंधो पर अर्थव्यवस्था का भी बोझ है।

पर उसे तो बस अपने पुराने आंगन की खोज है।

मजबूत भारत की व्यथा, अपूर्व है।

मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, 

इस जीत पर भी कैसे गुमान करे,

मुंह छिपाए जो लौटकर मजबूर घर चल दिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy