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Deepti singh

Tragedy

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Deepti singh

Tragedy

सबका साथ सबका विकास

सबका साथ सबका विकास

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मेरे देश का माहौल इतना

गरम क्यूँ है,

ठिठुरती ठंड में खून में

इतना उबाल क्यूँ है?

जिन हाथों में कलम से

कमाल होना था,

आज एक कमल की चुभन से

लहूलुहान क्यूँ है ?


ऐसी नियुक्ति हुई,

आभाव में अभिव्यक्ति हुई,

जहां वाद विवाद होना था

वहां सिर्फ विवाद हुआ,

किसने की ग़लती और

कहां फसाद हुआ।

एक लाठी को पकड़े

पूरा डंडी मार्च किया,

आज उसी भीड़ पर

कितना लाठी चार्ज किया।


फर्क इतना ही था

पहले कुछ पराए थे, 

इस बार कुछ अपनों ने किया।

चोट किसे लगी खून कहां बहा, 

दर्द तो इस देश की बूढ़ी

हड्डियों ने ही सहा।


यहां युवा क्यूँ इतना नाराज़ है,

नाराज़ है या हताश है।

थोड़ा सोच लो कुछ विचार लो,

साथ बैठ कर कुछ हल निकाल लो,

हर बात का विकल्प समान लो।

सबका साथ लो,

शायद तभी सबका विकास हो।



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