मिटा के सब दूरी दिन-रैन चला हूँ। मैं होके बेचैन लेने चैन चला हूँ। मिटा के सब दूरी दिन-रैन चला हूँ। मैं होके बेचैन लेने चैन चला हूँ।
एक लाठी को पकड़े पूरा डंडी मार्च किया, आज उसी भीड़ पर कितना लाठी चार्ज किया। एक लाठी को पकड़े पूरा डंडी मार्च किया, आज उसी भीड़ पर कितना लाठी चार्...
खून क्या उबाल लेगा, जब अपना उबाल लेते हैं रिश्ते। खून क्या उबाल लेगा, जब अपना उबाल लेते हैं रिश्ते।
ज़िन्दगी में भी एक उबाल होना चाहिए। ज़िन्दगी में भी एक उबाल होना चाहिए।
आने वाला वक्त क्या होगा पता नहीं पर सतत संग्राम के बोल अभी गूंजेंगे बहुत जोर आने वाला वक्त क्या होगा पता नहीं पर सतत संग्राम के बोल अभी गूंजेंगे बहुत ज...