रिश्ते
रिश्ते


बहम जाते हैं रिश्ते,
फिसल जाते हैं रिश्ते,
कुछ देर बात ना हो तो,
बहक जाते हैं रिश्ते।
कच्चे धागे की तरह हैं रिश्ते,
जिसे जितना ही गूंथा आ जाए,
वह उतने ही मजबूती में,
बदल जाते हैं रिश्ते।
खून के ना सही मन के हाे,
तन के ना सही वतन के हो,
खून क्या उबाल लेगा,
जब अपना उबाल लेते हैं रिश्ते।