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Devender Kumar sharma

Others

4.0  

Devender Kumar sharma

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हम समझौता नहीं करते

हम समझौता नहीं करते

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हम समझौता नहीं करते,

पर हो गया।

तेरे आने से

घर बैठे रहे,

अपने सपनों को ले!

जिन्हें तूने घुन लगा दिया।

सारी दुकानें ताला बंद,

खुलने की आस लगाए हैं

तो चाय बनाने वाला हल्कू,

आज खामोश है?

सोच रहा है,

अपने सपनों को

उड़ाने को,

जो भरने के लिए,

उसने कुछ दिन पहले

चाय की दुकान खोली थी?



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