आज खाली है रांपी
आज खाली है रांपी
मोची की रांपी,
आज खाली है
हाथ लिए इधर-उधर घूमता है
दिखता नहीं कोई ?
वह आया है आज,
सड़क पर,
क्योंकि दो दिन से
शिपरा ने दूध नहीं पिया!
और उस पर
भाड़े की खोली ?
कोई चारा नहीं था
लेकिन आज आया है,
पर कोई दिखता नहीं
तब सिपहिया आया
डंडा से हड़काया
मैं अपनी व्यथा सुनाया
और बैठ गया रांपी रखकर
हाथों पर या सिर पर हाथ
पता नहीं ?
तब सामने एक आवाज आई
खाकी पेंट का जूता
रांपी पर आया
देख मन हर्ष आया
इसे पॉलिश की नहीं थी कि,
एक और जूता आया
सिलसिला कुछ देर चलता चलता रहा
फिर थक गया
इन सब में सिर से सीकर टपकने लगी
आंखें ऊपर हुई तो
सब ने रुपया इकट्ठा कर मुझे दिया
और रांपी खाली हुई।