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Devender Kumar sharma

Abstract

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Devender Kumar sharma

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आज खुल गई मधुशाला

आज खुल गई मधुशाला

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आज खुल गई मधुशाला

हो गया सुन मैं मतवाला

निकल पड़ा घर से कह,

जाऊंगा मैं मधुशाला

आज खुल गई मधुशाला

जी आज खुल गई मधुशाला ।


निकलने लगे विचार - आचार

खो गया जिसमें शिष्टाचार

हाथ लग गई बोतल आज,

आज खुल गई मधुशाला ।


लगता है सारी दुनिया भूली

आज मिल गई मधुशाला,

दिखता है परिवर्तन न्यारा

हर कोई लगता है बेचारा

आज खुल गई मधुशाला ।


हो गई आज पूरी मुराद,

मिल गया सारे फसाद का राज!

अब मैं पी झूमूगा मस्त - मस्त,

हो जाए कुछ भी गलत गलत

आज खुल गई मधुशाला ।


सारी दुनिया डुबकी बैठी,

शराब की लाइन दो मेल फैली,

सोशल डिस्टेंसिंग गई टूट - टूट,

असब की फिक्र गई छूट - छूट

आज खुल गई मधुशाला ।


यूथ हो गया मतवाला

जी यूथ हो गया मतवाला,

दादा ने पैक चढ़ा डाला

जी दादा ने पैक चढ़ा डाला,

मिल गई उसे मधुशाला।


जी मिल गई उसे मधुशाला

हो गई भक्ति शक्ति सफल दाता

आज खुल गई मधुशाला

जी आज खुल गई मधुशाला ।



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