मैं नारी हू्ॅं
मैं नारी हू्ॅं


मैं नारी मैं नारी हॅं
अबला सब ला कहीं जाने वाले,
ममता करुणामई कहीं जाने वाली,
विध्वंस का आगाज कराने वाली
मैं नारी, मैं नारी हूं।
नहीं किसी के पांव तले,
नहीं किसी का शिकार !
नहीं किसी के सहती अत्याचार
मैं युगबोध चिंगारी हूं
मैं नारी में नारी हूं।
जोर-जुल्म कहती नहीं,
मन में सब दवा,
पचा ले जाती हॅं।
घर की चारदीवारी को
अपना सुखधाम बनाती हूं
मैं नारी, मैं नारी हूँ।
सहमना, लज्जा मेरा गुण, फायदा है
शीतलता का सैलाब स्वभावता है,
नहीं कठोर, नहीं अंगारी
मैं नारी मैं नारी हूं।
मुझमें सीता, राधा–सा निखार है,
जो किसी रावण, अत्याचारी का
शिकार है
इन सबमें मत समझना कि मैं लाचार हूं
मैं कल भी दुर्गा, चंडी थी
मैं आज भी वही हूंकारी हूं
मैं नारी में नारी हूं।
मैं ही आशा, मैं ही उषा,
मैं ही लता सुषमा स्वरागी हूं
मैं ही मां, पोषण कारिणी हूं
मैं नारी में नारी हूं।
मैं ही सृष्टि के चल,
मैं ही सृष्टि के आंचल में हूं
मुझमें ही सारा संसार है,
फिर भी मैं तुम्हें अपना संसार बनाती हूं
मैं नारी में नारी हूं।
मैं ही शिव की शक्ति हूं
मैं ही संसार ज्ञान, सार हूं
मैं ही समस्त जगत में,
लक्ष्मी का आधार हूं !
यह सब कह कर भी,
यह मत समझना,
मैं नारी लाचार हूं
मैं नारी, मैं नारी हूं।