महंगाई
महंगाई
महंगाई, क्यों आई?
आई तो ऐसे, जैसे शहर में बाढ़ आई!
जहाँ देखो वहाँ अपनी जगह है बनाई,
आकर वह किसी के मन को न भाई!
जहाँ देखो, मची तबाही ही तबाही,
ऐ महंगाई, तू क्यों आई?
जहाँ देखो वहाँ अपना रंग है भर दिया,
ऐ महंगाई! यह तूने क्या कर दिया?
सबके मन में अब एक ही बात आई,
वर्तमान में तो घूस ही है कमाई!
बस करो, कह-कहकर थक गए हैं भाई,
आई रे आई,महंगाई आई!
तेल हुआ महंगा, पेट्रोल भी महंगा हुआ,
लाइफ का तो जैसे वेल से हेल हुआ!
लगता है जैसे बेमौसम बरसात हो आई,
नेता और आम इंसान की होती है बस लड़ाई!
लगता है कर ली नेता ने महंगाई से सगाई,
आई रे आई, महंगाई आई!