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Shailaja Bhattad

Drama

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Shailaja Bhattad

Drama

महकती -सी मेरी ज़िंदगी

महकती -सी मेरी ज़िंदगी

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नदी-सी कल-कल,

बहती है मेरी जिंदगी।

हर ठोकर पर उठती है ,

मेरी जिंदगी।

शैस्ता ,शीरीन बनकर ,

फ़िरदौस को कदमों तले,

लाती है मेरी ज़िंदगी।

आशा के दिए जलाकर ,

मन को परव़ाज़ दिलाती है मेरी ज़िंदगी।

हर पल को पल-पल में ,

जीती है मेरी जिंदगी।

स्नेह, सहानुभूति से ,

अदा में रहती है मेरी ज़िंदगी।

सुलझी-सी,गुलाबों-सी,

महकती है मेरी ज़िंदगी।।



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