मेरी शायरी और तुम
मेरी शायरी और तुम
मेरी शायरियों को
समझो या न समझो लेकिन
तेरी अदाओं को देख
ये खूब समझ लेते तुम्हें।।
मजमा भांप लेती होगी
पढ़कर इनको तुम
कथा खामोशी की मगर
ये खूब लिख लेते तुम्हें।।
चुपके से इशारों से
बातें जो करती हो तुम
सुनना मुश्किल है मगर
ये खूब सुन लेते तुम्हें।।
हर अंदाज़ बौना
तेरी भाव वैभवों का
लेकिन मेरी शायरी की सुर
ये खूब गा लेते तुम्हें।।
कुछ मत बोलो बस
खामोश रहो इसी तरह
बेजुबां कलम और स्याही
हूबहू उकेर लेंगे तुम्हें।।